नौकरशाही के दीमक से घुन गया संविधान है
अब भी बोलो क्या बोलोगे मेरा देश महान है
चमचम दिल्ली उचे होटल क्या नहीं है एक छलावा
यहाँ तो दो जून की रोटी को भी मोहताज़ किसान है
तमगो और पैसो के खातिर मर्डर यहाँ पुलिस है करती
इन्कउन्टर के नाम पर बड़ती पुलिस की शान है
अब भी बोलो क्या बोलोगे मेरा देश महान है
हरे खेत भरे खलियान अर्थ शास्त्री प्रधानमंत्री
फिर भी महगाई देखो छूने लगी आसमान है
अब भी बोलो क्या बोलोगे मेरा देश महान है
राजनीत की गजब कहानी
जीतनी समझो उतनी अनजानी
चंद वोट में ही बिकता मंत्रालय खुल कर बिकता इमान है
अब भी बोलो क्या बोलोगे मेरा देश महान है
धर्म वाद है जाति वाद है मानववाद ना कही यहाँ है
सेकुलर होना जहा गाली के सामान है
अब भी बोलो क्या बोलोगे मेरा देश महान है
लाशो पर सेक सेक कर पकती है कुर्सी की रोटी
हिन्दू है मुस्लिम है पर नहीं मिलता एक अदद इंसान है
अब भी बोलो क्या बोलोगे मेरा देश महान है
पुनीत कुमार राय
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