एबीपी न्यूज द्वारा कल (दिनांक-14.10.15) को रात्री आठ बजे एक कार्यक्रम दिखाया गया ऑपरेशन भूमिहार । यह कार्यक्रम एक जाति विशेष को बदनाम कर समाज में जहर घोलने की साजिश प्रतीत हो रही थी। न्यूज वालों ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन एवं सामाजिक आंदोलनों में इस जाति के योगदान को अनदेखा कर जिस तरह कुछ भटके हुए लोगों के उदाहरण दे कर एवं महज चंद लोगों के फीडबैक के आधार पर जिस घृणापूर्ण हरकत को अंजाम दिया गया वो सामाजिक समरसता के लिए कदापि उचित नहीं है।इस तरह के दूर्भाग्यपूर्ण कार्यक्रम दिखाने से पहले एबीपी को इस समाज का एक गैर पक्षपातपूर्ण आकलन जरूर कर लेना चाहिए था। इसी समाज में स्वामी सहजानंद सरस्वती जैसे मनिषियों ने जन्म लिया था जिनके योगदान का आकलन शायद इस चैनल के लोगों के बस की बात नहीं है। परन्तु इतना तो ये चैनल वाले कर ही सकते हैं कि एेसे कार्यक्रम न दिखा कर उन मनिषियों की आत्मा एवं इस जाति के स्वाभिमान को ठेस न पहुंचाई जाए। अगर आपको कार्यक्रम ही दिखाना था तो इस जति के सामाजिक योगदान एवं इसकी बौद्धिकता पर दिखाते परन्तु चैनल ने यह न दिखा कर जिस अंदाज में कार्यक्रम दिखाया वह समाज के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने वाला था ।दूर्भावना की सीमा देखिये-
इस चैनल के एक पत्रकार लिखते हैं "रात आठ बजे देखिये एबीपी न्यूज,दो बातें साफ हो जाएंगी पहली यह की भूमिहार कैसे पिछले साठ सालों में बिहार के लोगों को परेशान कर रहें हैं दूसरी बात की पिछड़ों की सियासत करने वाले लालू राज में भी भूमिहारों ने कैसे आतंक मचाया? अॉपरेशन भूमिहार"
भाई वाह क्या जबरदस्त आकलन है महोदय का अरे महाराज जंगलराज में भूमिहारों ने आतंक नहीं मचाया बल्कि मैं गर्व से कह सकता हूं कि यह वो इकलौती स्वाभिमानी जाति है जिसने जंगलराज का डट कर मुकाबला किया था। अगर रिपोर्ट ही बनानी थी तो गांवो में जा कर इस जाति की वर्तमान स्थिती का आकलन करते ,बात करते उन विधवाओं से जिन्होने जंगलराज में अपने सुहाग खोये, बात करते उन किसानों से जिन्होने अपनी जमीन खो दी विभिन्न कारणों से, अगर इस समाज के योगदान का अध्यन करने हेतु सामग्री उपलब्ध नहीं थी समाज के लोगों से संपर्क करते।परन्तु न्यूज चैनल वाले ने एेसा नहीं किया बल्कि महागटबंधन को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से उनके दिए पैसे की चकाचौंध में एक भ्रामक व सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने वाला आकलन प्रस्तुत करा। यह न चैनल के हित में है न समाजिक समरसता के। मैं समाज के सभी बुद्धिजीवीयों से साथ ही यह आग्रह भी करुंगा कि इस कार्यक्रम पर अपनी आपत्ति एबीपी को फोन कर या इमेल के जरिये अवश्य दर्ज कराएं।
इस चैनल के एक पत्रकार लिखते हैं "रात आठ बजे देखिये एबीपी न्यूज,दो बातें साफ हो जाएंगी पहली यह की भूमिहार कैसे पिछले साठ सालों में बिहार के लोगों को परेशान कर रहें हैं दूसरी बात की पिछड़ों की सियासत करने वाले लालू राज में भी भूमिहारों ने कैसे आतंक मचाया? अॉपरेशन भूमिहार"
भाई वाह क्या जबरदस्त आकलन है महोदय का अरे महाराज जंगलराज में भूमिहारों ने आतंक नहीं मचाया बल्कि मैं गर्व से कह सकता हूं कि यह वो इकलौती स्वाभिमानी जाति है जिसने जंगलराज का डट कर मुकाबला किया था। अगर रिपोर्ट ही बनानी थी तो गांवो में जा कर इस जाति की वर्तमान स्थिती का आकलन करते ,बात करते उन विधवाओं से जिन्होने जंगलराज में अपने सुहाग खोये, बात करते उन किसानों से जिन्होने अपनी जमीन खो दी विभिन्न कारणों से, अगर इस समाज के योगदान का अध्यन करने हेतु सामग्री उपलब्ध नहीं थी समाज के लोगों से संपर्क करते।परन्तु न्यूज चैनल वाले ने एेसा नहीं किया बल्कि महागटबंधन को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से उनके दिए पैसे की चकाचौंध में एक भ्रामक व सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने वाला आकलन प्रस्तुत करा। यह न चैनल के हित में है न समाजिक समरसता के। मैं समाज के सभी बुद्धिजीवीयों से साथ ही यह आग्रह भी करुंगा कि इस कार्यक्रम पर अपनी आपत्ति एबीपी को फोन कर या इमेल के जरिये अवश्य दर्ज कराएं।