सोमवार, 18 अप्रैल 2011

जाति और अपने उपनाम "ठाकुर" से अलग होने के संबंध में अमिताभ पुलिस अधीक्षक

आज मेरे द्वारा ओ़थ कमिश्नर मेरठ के समक्ष यह शपथपत्र प्रस्तुत किया गया कि जाति-प्रथा के अहितकारी और बाधक असर को उसकी सम्पूर्णता में देखते हुए मैंने यह निर्णय लिया है कि भविष्य में मेरी कोई भी जाति नहीं होगी. इस प्रकार सभी आधिकारिक, शासकीय और सामाजिक अभिलेखों, दस्तावेजों, मान्यताओं और सन्दर्भों में किसी भी आवश्यकता पड़ने पर मेरी जाति “कोई नहीं” अथवा “शून्य” मानी जाए.

साथ ही मैंने अपने नाम के साथ जातिसूचक उपनाम को भी हटा कर आगे से सभी आधिकारिक, शासकीय और सामाजिक अभिलेखों, दस्तावेजों, मान्यताओं और सन्दर्भों में भी अपना नाम “अमिताभ ठाकुर” नहीं मात्र “अमिताभ” कर दिया है. साथ ही मैं अपनी तरफ से अपने सामर्थ्य भर एक जातिविहीन समाज की दिशा में अपना भी योगदान देने की पूरी कोशिश करूँगा. इस सम्बन्ध में प्रस्तुत शपथ पत्र इस प्रकार है..

शपथ पत्र

मैं, वर्तमान नाम अमिताभ ठाकुर पुत्र श्री तपेश्वर नारायण ठाकुर, पता- 5/426, विराम खंड, गोमती नगर, लखनऊ इस समय पुलिस अधीक्षक, आर्थिक अपराध अनुसन्धान शाखा, मेरठ के पद पर कार्यरत सशपथ यह वयान करता हॅू कि-
1- यह कि मेरा जन्म 16 जून 1968 को मुजफ्फरपुर, बिहार में हुआ था
2- यह कि मेरा जन्म एक हिंदू “भूमिहार ब्राह्मण” परिवार में हुआ था
3- यह कि मेरा नाम मेरे घर वालों ने अमिताभ ठाकुर रखा था
4- यह कि मैं आज तक इसी नाम “अमिताभ ठाकुर” तथा इसी जाति “भूमिहार ब्राह्मण” से जाना जाता रहा हूँ.
5- यह कि अपने गहरे तथा विषद चिंतन के बाद मेरा यह दृढ मत हो गया है कि हमारे देश में जाति-प्रथा का वर्तमान स्वरुप एक अभिशाप के रूप में कार्य कर रहा है और समय के साथ इसकी स्थिति बद से बदतर होती जा रही है.
6- यह कि मैं यह समझने लगा हूँ कि देश की प्रगति में बाधक प्रमुख तत्वों में एक तत्व जाति-प्रथा भी है
7- यह कि जाति के इस प्रकार के स्वरुप के कारण कई बार सामाजिक विद्वेष तथा तमाम गलत-सही निर्णय भी होते दिखते रहते हैं.
8- यह कि मेरा यह दृढ मत हो गया है कि देश और समाज के समुचित विकास के लिए यह सर्वथा आवश्यक है कि हम लोग जाति के बंधन को तोड़ते हुए इस सम्बन्ध में तमाम महापुरुषों, यथा भगवान महावीर, गौतम बुद्ध, संत कबीर से लेकर आधुनिक समय के विचारकों की बातों का अनुसरण करें और जाति के इस प्रकार के बंधन से निजात पायें.
9- यह कि इन स्थितियों में मैं अपनी यह न्यूनतम जिम्मेदारी समझता हूँ कि मैं अपने आप को इस जाति-प्रथा के इस बंधन से विमुक्त करूँ.
11- यह कि तदनुरूप मैं यह घोषित करता हूँ कि भविष्य में मेरी कोई भी जाति नहीं होगी.
12- यह कि सभी आधिकारिक, शासकीय और सामाजिक अभिलेखों, दस्तावेजों, मान्यताओं और सन्दर्भों में किसी भी आवश्यकता पड़ते पर मेरी जाति “कोई नहीं” अथवा “शून्य” मानी जाए.
के
13- यह कि तदनुरूप मैं अपने नाम के साथ जातिसूचक उपनाम को भी हटाता हूँ.
14- यह कि मैं आज से आगे अपने आप को मात्र “अमिताभ” नाम से ही पुकारा तथा माना जाना चाहूँगा. साथ ही सभी आधिकारिक, शासकीय और सामाजिक अभिलेखों, दस्तावेजों, मान्यताओं और सन्दर्भों में भी अपना नाम “अमिताभ” ही समझूंगा, “अमिताभ ठाकुर” नहीं.
15- यह कि इस हेतु आधिकारिक तथा शासकीय अभिलेखों, दस्तावेजों आदि में अपने नाम के परिवर्तन हेतु मैं अग्रिम कार्यवाही इस शपथपत्र की कार्यवाही के पूर्ण होने के बाद आज से ही प्रारंभ कर दूँगा.
16- यह कि मैंने अपने सम्बन्ध में यह निर्णय अपने पूरे होशो-हवास में, अपना सब अच्छा-बुरा सोचने के बाद लिया है और यह निर्णय मात्र मेरे विषय में लागू है. मैं अपने इस निर्णय से अपनी पत्नी डॉ नूतन ठाकुर तथा अपने दोनों बच्चों तनया ठाकुर और आदित्य ठाकुर को ना तो बाध्य कर सकता हूँ और ना ही तदनुसार बाध्य कर रहा हूँ. इस सम्बन्ध में वे अपने निर्णय अपने स्तर से ही लेने को सक्षम हैं.
अतः ईश्वर मेरी मदद करें।
अमिताभ
5/426, विराम खंड, 
गोमती नगर, लखनऊ
पुलिस अधीक्षक,
ईओडब्ल्यू, मेरठ

2 टिप्‍पणियां:

  1. itnabadhiya site banane ke liye dhanyawad. photogrphs ko seniority ke order me lagaiye.cp thakur g dinkar g ke upar nahi place hone chahiye the. sabse pramukh ye ki, Maharashi Parshuram G se hi suruat honi chanhiye.

    Namaskar !

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