बुधवार, 18 अगस्त 2010

.सच कितने भूलक्कड है हम

आप को याद है ना वो  मुंबई की सड़क पर सरेआम पिस्तौल लहरा रहा युवक -राहुल राज.  राहुल राज इनकाउंटर की  नैतिकता और लाखों वादे

 इस घटना से बाद  बिहार में जगह-जगह ट्रेनें जला रहे, तोड़फोड़, पथराव कर रहे छात्र राज ठाकरे से अधिक अपने नेताओं लालू-नीतीश के लिए अपशब्दों का प्रयोग कर रहे थे. नारे लगा रहे थे. उनमें यह भाव था कि पलायन की विवशता के लिए जिम्मेवार अपने ही नेता हैं. राहुल राज के इनकाउंटर के बाद ही  राजनेताओं ने राहत की सांस ली. लालू, नीतीश व रामविलाजी ने उसे शहीद, शेरे बिहार, बिहार का सपूत और न जाने क्या-क्या कहा. इससे एक रोज पहले तक नीतीश महाराष्‍ट्र में बिहारी युवकों की पिटाई के बाद बिहार में घट रही तोड़फोड़ की घटनाओं से बेहद चिंतित थे. उन्होंने संचार माध्यमों को कहा था कि न कुछ ऐसा छापा जाए, न दिखाया जाए, जिससे बिहार की भावना भड़के. लेकिन इस युवक के मारे जाने के बाद परिदश्‍य बदल गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, रेलमंत्री लालू प्रसाद व रसायन मंत्री रामविलास पासवान अपने-अपने तरीके से राहुल राज के एनकाउंटर को को तूल देने में कोई कसर नहीं छोड़ी. वास्तव में राहुल की हत्या ने ही बिहारी आक्रोश की धारा पूरी तरह राज ठाकरे और महाराष्‍ट्र सरकार की ओर मोड़ दी है. बिहार के राजनेताओं का अभिष्‍ट भी यही था. राजनताओं में राहुल की अंतयेष्टि में शामिल होने, उसके घर जाकर सांत्वना देने की होड़ लग गयी. नीतीश कुमार, लालू प्रसाद, रामविलास पासवान, सुशील कुमार मोदी (उपमुख्यमंत्री), दीपंकार भट्टाचार्य (माले महासचिव), अनिल शर्मा (प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष), समेत कई बडे-छोटे नेता उसके घर पहुंचे. बाहुबली सांसद सूरजभान सिंह, राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (प्रदेष अध्यक्ष, जदयू) गिरिराज सिंह (सहाकारिता राज्य मंत्री, बिहार), अखिलेश सिंह (केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री) समेत एक खास जाति के कई राजनेताओं ने राहुल के घर जाकर 'न्याय' दिलाने का वादा किया.

 लालू प्रसाद ने राहुल राज की हत्या के बाद टीवी कैमरे के सामने बेतरह गुस्सा दिखाते हुए कहा कि महाराष्‍ट्र सरकार पगला गयी है. उन्होंने बताया कि राहुल एक 'संभ्रात' परिवार का लड़का था. हमेशा जाति के संदर्भ के साथ बात करने वाले लालू प्रसाद के इस संकेत का अर्थ बिहार के लोग समझते हैं. राहुल का जन्म एक उंची जाति के (भुमिहार) परिवार में हुआ था. लालू कहना चाह रहे थे कि उसे 'गरीब-गुरबा' न समझा जाए. संभ्रांत परिवार का था.


राहुल ने रेडियोलॉजी में डिप्लोमा किया था और २४ अक्टूबर को घर से मुंबई जाते हुए यह कह गया था कि वह नौकरी तलाशने जा रहा है. २५ या २६ अक्टूबर को वह मुंबई पहुंचा और दूसरे दिन ही यह कांड सामने आया. वह पटना के कदमकुआं मुहल्ले के एक मध्यवर्गीय परिवार का लड़का था.


समय बीता और एक बलिदान यू ही भुला दिया हमने....सच कितने भूलक्कड है हम

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