भूमिहार ब्राह्मण शब्द के प्रचलित होने की कथा भी बहुत रोचक है। सन १८८५ में बनारस के महाराज ईश्वरी प्रसाद सिंह ने बिहार एवं उत्तर प्रदेश के जमीनदार ब्राãणों की सभा बुलाकर प्रस्ताव रखा कि हमारी एक जातीय संगठन होनी चाहिए। संगठन बनाने के प्रश्न पर सभी सहमत थे। परन्तु संगठन का नाम क्या हो इस प्रश्न पर बहुत ही विवाद उत्पन्न हो गया। मगध् के बाभनों ने जिनके नेता स्वर्गीय कालीचरण सिंह थे, संगठन का नामकरण ‘बाभन सभा’ करने का प्रस्ताव रखा। स्वयं बनारस महाराज ईश्वरीय प्रसाद सिंह ‘भूमिहार ब्राह्मण सभा’ नाम के पक्ष में थे। बैठक में नाम के संबंध् में आम राय नही बन पाई। अत: नाम पर विचार करने हेतु एक उपसमिति की अनुशंसा पर ‘भूमिहार ब्राह्मण’ शब्द को स्वीकृत किया गया और इस शब्द का प्रचार-प्रसार करने का निर्णय लिया गया। इसी वर्ष महाराज बनारस तथा स्वर्गीय लंगट सिंह के सहयोग से मुजपफरपुर में भूमिहार कॉलेज खोला गया। बाद में तिरहुत कमिश्नरी के कमिश्नर का नाम जोड़कर इसे जी.बी.बी. कॉलेज के नाम से पुकारा गया। आज वही जी.बी.बी. कॉलेज लंगट सिंह कॉलेज के नाम से प्रसिद्व है।
photographs ko seniority wise arrange kare
जवाब देंहटाएंthank u praveen jee................i will
जवाब देंहटाएंloved this blog..
जवाब देंहटाएंThanks for creating such a well formed and informed blog..
Jai Parshuram, Jai Bhumihar!!
done a good job.
जवाब देंहटाएंbhumihaar brahman shabd ke piichhe yah kahaanii nahii hai
जवाब देंहटाएं