बुधवार, 18 अगस्त 2010

रणवीर सेना

रणवीर सेना भोजपुर के भूमिहार जमींदारों द्वारा 1994 में नक्सलियों की सक्रियता बद करने के लिए एक प्रतिक्रिया के रूप में बनाई थी. अनेक सेनाओं ने80-90 के दशक मे सुत्रपात किया उनमे सवर्ण लिबरेशन आर्मी, ब्रह्म्रिशि सेना, शिवसेना , गंगा शिवसेना प्रमुख थे .पर केवल रणवीर सेना ही अपना असतित्वा बचा सकी।अर्थात भुमिहारो ने ही जमिदरी से जुडी परंपरा को परिष्कृत किया गया। नक्सलवादी विचारधारा के खिला एक सशस्त्र प्रतिक्रिया चुनौती इसका रुप था.
रणवीर सेना आत्म रक्षा के लिए हथियार और पुरुषों की भीड़ मात्र है। वे भी बिहार में मौजूदा राजनीतिक पर लड़ाई मे बलि के बकरे बनते रहे है.आखिर है तो वे सभी सज्जन किसानों, जो खुद का अस्तित्व बचाने के लिये कानून को अपने हाथ मे लेने को मजबुर थे।शायद भविष्य मे बिहार का सुशासन इन्हे स्वयं ही खुद को इतिहास बनाने पर मजबुर कर दे।

1 टिप्पणी:

  1. कहना आसान है हिंसा का रास्ता न अपनाया जाए फिर भी यह तो सत्य है कि हिंसा और वर्ग संघर्ष का रास्ता चिरस्थायी शांति नहीं ला सकता। न्याय की लड़ाई सामाजिक तरीके ही लड़ी जा सकती है। कोई भी हिंसावादी संगठन बहुत दिनों तक जीवित नहीं रह सकता है। इसीलिए रणवीर सेना भी अब मरणासन्न है।

    जवाब देंहटाएं