बुधवार, 21 सितंबर 2011

अब भी बोलो क्या बोलोगे मेरा देश महान है



नौकरशाही के दीमक से घुन गया संविधान है
अब  भी बोलो क्या बोलोगे मेरा देश महान है 

चमचम दिल्ली उचे होटल क्या नहीं है एक छलावा
यहाँ तो दो जून की रोटी  को भी  मोहताज़  किसान  है

तमगो  और   पैसो  के  खातिर  मर्डर  यहाँ  पुलिस  है करती
इन्कउन्टर  के  नाम  पर  बड़ती पुलिस की   शान  है
अब  भी बोलो क्या बोलोगे मेरा देश महान है

हरे खेत भरे खलियान अर्थ शास्त्री  प्रधानमंत्री
फिर भी महगाई देखो छूने लगी  आसमान है
अब  भी बोलो क्या बोलोगे मेरा देश महान है

राजनीत  की  गजब कहानी  
जीतनी  समझो  उतनी  अनजानी
चंद  वोट   में ही  बिकता  मंत्रालय  खुल कर बिकता  इमान  है
अब  भी बोलो क्या बोलोगे मेरा देश महान है

धर्म  वाद  है जाति  वाद  है मानववाद  ना  कही यहाँ है 
सेकुलर  होना  जहा  गाली   के  सामान  है
अब  भी बोलो क्या बोलोगे मेरा देश महान है



लाशो  पर  सेक  सेक  कर  पकती  है कुर्सी  की  रोटी
हिन्दू  है मुस्लिम  है पर  नहीं मिलता  एक  अदद  इंसान  है
अब  भी बोलो क्या बोलोगे मेरा देश महान है


पुनीत कुमार राय

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