बुधवार, 13 अक्तूबर 2010

आरछ्ण


पढने लिखने से क्या मिलेगा
आइ ए स भी न बन पाउगा
भाइ मुझे दो हजार दे दो 
कट्टा खरिद कर लाउन्गा

नेता या किसी सेठ के छोरे को उठाउन्गा
अपहरण से पहले लाखो कमाउन्गा
पुलिस उलिस की फ़िकर ना कर
तुझे भी हर देश घुमाउन्गा

 देखा है मैने तुझको 
ज्यादा नबर पाकर  रोते
उस हरिया का नाती को 
३३% पा कर अफ़सर होते

हरिया को नही
इस आरछ्ण डाइन को मुआउन्गा
भाइ मुझे दो हजार दे दो 
कट्टा खरिद कर लाउन्गा

अहिसा से ना भागे अग्रेज
ये सच्चाई मान लिया है
गाधी और नेहरु को तो
अब मैने भी जान लिया है

एक छोटे से नाटक से कैसे 
सत्ता है हड्पते
कैसे नेता जी से दानी
कागज मे ही मरते

हिन्दु और मुस्लिम पर
कैसे राजनीति है करते
बनना है भगत सिहं राजगुरु
और लड्ना है इन  सब से 

भाइ मुझे दो हजार दे दो 
कट्टा खरिद कर लाउन्गा

क्यो घोटलो पर चुपी छायी
जज क्यो कुछ  नही करते 
जनता की गाढी कमायी से
कैसे स्विस बॆक भरते

देखा है सुभाष चंद के 
नेता के आदरशो को घुट घूट कर मरते
भाइ मुझे दो हजार दे दो 
कट्टा खरिद कर लाउन्गा

मु०मत्री को पैसे देकर 
सीधे ए०म०एल०सी० बनगाउन्गा
अगर जुगाड लग गया तो
राज्यसभा पहुच जाउन्गा

ठाकुर हो या भुमिहार
क्यो दीन हीन मजबुर है
इन  sc st को आखिर
किस बात का गरुर है

बस भरोसा रख मुझ पर
देश के भी काम आउन्गा
अपने जैसे हजारो को 
ससंद पहुचाउन्गा

नया विधेयक लाकर
आरछ्ण को हटाउन्गा
नया सवेरा आयेगा
कुछ यु इतिहास बनाउन्गा

न्याय को सर्वसुलभ बनाकर
८०% समस्या मिताउन्गा

भाइ मुझे दो हजार दे दो 
बन्दुक खरिद कर लाउन्गा





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