BHUMIHAR भूमिहार उत्तर प्रदेश ,बिहार की वर्चस्ववाली प्रमुख जतियों मे उच्चतम स्थान तो रखती ही है साथ ही साथ बौद्धिक सम्पदा की प्रचुरता हमारी प्रमुख विशेषता मानी जाती रही है। इस मंच पर आपका स्वागत करते हुये ये आशा करता हुं कि इस गौरव गाथा को कलमवद्ध करने मे आप भी सहायक बनेगें.........जय परशुराम
बुधवार, 18 अगस्त 2010
अजय राय-
वाराणसी से भूमिहार विधायक,जिस पार्टी से चुनाव लडे जीत कदम चुमती रही
लोकप्रियता की दौड़ में अजय राय ने बाकियों को पछाड़ा
वाराणसी। विधानसभा उपचुनाव के प्रचार अभियान के अंतिम दौर में निर्दलीय अजय राय को मिल रही लोकप्रियता से साफ हो गया है कि अन्य प्रत्याशी इस दौड़ में काफी पिछड़ चुके हैं। विरोधियों के वोट बैंक में भी उनकी सेंधमारी पूरी गति पर है। कहीं उनको आशीर्वाद देने के लिए दोनों हाथ उठते दिख रहे हैं तो कहीं बढ़कर हाथ मिलानेवालों की भीड़। इसमें हर जाति व तबके के लोग शामिल हैं। ऐसी भीड़ में खुले तौर पर कहा जा रहा है कि ऊपर से कोई भले किसी दल का झंडा थामे घूम रहा है लेकिन उसका जु़ड़ाव तो अजय राय से कहीं न कहीं से अवश्य है। कारण कि तेरह वर्ष के अपने विधायक के कार्यकाल में अजय ने विकास अथवा किसी की मदद करते समय न तो जाति का ध्यान रखा न दलीय बंधन का।
कोलअसला की आबोहवा को किसी राजनीतिक ने अब तक सही तरीके से समझा तो वह सिर्फ अजय ही हैं। सामान्य किसान, श्रमिक हो या प्रबु्द्ध हर किसी का यही कहना है कि विभिन्न दलों के बडे़ नेता हों या प्रदेश सरकार के मंत्री ये चुनाव बाद खोजे नहीं मिलेंगे। इसके विपरीत अजय की सहज उपलब्धता बरकरार रहेगी। ऐसे में राजनीति के नए खिलाड़ियों की होने वाली स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। बुजर्गो की राय है कि वे कोई नया प्रयोग करने के बजाय अपना मत उसी अजय राय को देंगे जिसने कोलअसला के विकास को नया आयाम दिया है।
इस्तीफे के बाद मेरी पहली यू.पी. यात्रा Posted by Amar Singh in Amar Singh Opinion, Personal.
इस वक़्त मै वाराणसी से वापस दिल्ली के रास्ते हवाई जहाज़ में हूँ, इस्तीफे के बाद मेरी जन्म और कर्म भूमि उत्तर प्रदेश की यह पहली यात्रा थी. इस वक़्त मेरे साथ कोई फिल्म स्टार नहीं बल्कि मेरे सहयोगियों में एक भूमिहार भाई, एक निषाद भाई, एक कुर्मी भाई और मेरे अनुज अरविन्द सिंह है. हवाई अड्डे पर निर्दलीय विधायक श्री अजय राय जी आये थे. मैने पूंछा भाई मेरी पार्टी से क्यूँ नाराज हो? वह कहने लगे, भाई साहब आपकी पार्टी के नेताओ ने लोकसभा चुनावो में खुल कर मुख्तार अंसारी का साथ दिया, उनसे पैसे लिए और खुलेआम कहा कि अजय राय तो अमर सिंह का आदमी है, मुलायम सिंह जी का आदमी थोड़े ही है. मै स्तब्ध रह गया, पिछले कुछ दिनों से मुझमे और नेताजी में बटवारा चल रहा है. परन्तु पिछले लोकसभा चुनावो के दौरान भी यह बटवारा चल रहा था, यह जान कर आश्चर्य हुआ. आज मुझे दधिची की बहुत याद आयी. हमारी पौराणिक कथाओ में हमारे अपने जीवन का दर्शन बखूबी दीख जाता है. स्वर्ग पर जब असुरों का हमला हुआ तो ईश्वरीय आदेश पर स्वर्ग के राजा इन्द्र ने महर्षि दधिची के पास जा कर उनके प्राण मांगे ताकि उनके शरीर की हड्डी के वज्र से असुरों का विनाश हो सके. उत्तर प्रदेश के राज पर जब से मायाजाल फैला है मेरी पार्टी ने भी मुझे दधिची बनाकर तपती दुपहरी में मुझे घुमा-घुमा कर गुर्दाविहीन कर डाला. लेकिन यह समाजवादी दधिची मारा नहीं, बच गया, अपने लिए, अपने परिवार, मित्रों और चाहने वालो के लिए. अब मै समर्पित हूँ क्षत्रीय बन्धुवों और सदियों से तिरस्कृत निषाद, कश्यप, राजभर, नोनिया, विश्वकर्मा, पाल, कुम्हार और तेली इत्यादि जैसे अति पिछड़े समाज के लोगो के बीच वैसी ही एकता कराऊं जैसी कि क्षत्रिय कुलभूषण श्री राम और अति अतिपिछड़ी शबरी, अहिल्या और उस केवट के बीच थी जिसने भगवान को नदी पार्ट कराई थी. आज क्षत्रिय चेतना रथ को हरी झंडी दिखाते हुए कई क्षत्रिय भाइयों की भीड़ में इन अतिपिछडे भाइयो को देख कर बहुत ही सुखद अनुभूति हुई. कहते है कि जब भगवान् बुद्ध के घर पुत्र का जन्म हुआ तो उन्होंने कहा कि एक बंधन कि उत्पति हुई है. जब मुझे मेरे नेता ने इतिहास बता कर पीछे छूटा एक ऐसा साथी बताया, जिसे मुड कर वह वह कभी नहीं देखेंगे तो मुझे लगा कि मुझे मेरी सम्पूर्ण जिम्मेदारियो से मुक्ति मिल गई. गृह जनपद आजमगढ़ एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश की कई पार्टियों के कार्यकर्ता और यादव भाई मुझे गलियां दे रहे है. आदरणीय मुलायम सिंह जी ने जो स्नेह अब तक मुझे दिया है उसे वह जल्दी-जल्दी वापस छीनने में लगे हुए है, आप सभी को धन्यवाद. “दुश्मनों से सौ-सौ बार किये दो-दो हाँथ, अबकी अपने है सामने मौला ख़ैर करे.
इस्तीफे के बाद मेरी पहली यू.पी. यात्रा Posted by Amar Singh in Amar Singh Opinion, Personal.
इस वक़्त मै वाराणसी से वापस दिल्ली के रास्ते हवाई जहाज़ में हूँ, इस्तीफे के बाद मेरी जन्म और कर्म भूमि उत्तर प्रदेश की यह पहली यात्रा थी. इस वक़्त मेरे साथ कोई फिल्म स्टार नहीं बल्कि मेरे सहयोगियों में एक भूमिहार भाई, एक निषाद भाई, एक कुर्मी भाई और मेरे अनुज अरविन्द सिंह है. हवाई अड्डे पर निर्दलीय विधायक श्री अजय राय जी आये थे. मैने पूंछा भाई मेरी पार्टी से क्यूँ नाराज हो? वह कहने लगे, भाई साहब आपकी पार्टी के नेताओ ने लोकसभा चुनावो में खुल कर मुख्तार अंसारी का साथ दिया, उनसे पैसे लिए और खुलेआम कहा कि अजय राय तो अमर सिंह का आदमी है, मुलायम सिंह जी का आदमी थोड़े ही है. मै स्तब्ध रह गया, पिछले कुछ दिनों से मुझमे और नेताजी में बटवारा चल रहा है. परन्तु पिछले लोकसभा चुनावो के दौरान भी यह बटवारा चल रहा था, यह जान कर आश्चर्य हुआ. आज मुझे दधिची की बहुत याद आयी. हमारी पौराणिक कथाओ में हमारे अपने जीवन का दर्शन बखूबी दीख जाता है. स्वर्ग पर जब असुरों का हमला हुआ तो ईश्वरीय आदेश पर स्वर्ग के राजा इन्द्र ने महर्षि दधिची के पास जा कर उनके प्राण मांगे ताकि उनके शरीर की हड्डी के वज्र से असुरों का विनाश हो सके. उत्तर प्रदेश के राज पर जब से मायाजाल फैला है मेरी पार्टी ने भी मुझे दधिची बनाकर तपती दुपहरी में मुझे घुमा-घुमा कर गुर्दाविहीन कर डाला. लेकिन यह समाजवादी दधिची मारा नहीं, बच गया, अपने लिए, अपने परिवार, मित्रों और चाहने वालो के लिए. अब मै समर्पित हूँ क्षत्रीय बन्धुवों और सदियों से तिरस्कृत निषाद, कश्यप, राजभर, नोनिया, विश्वकर्मा, पाल, कुम्हार और तेली इत्यादि जैसे अति पिछड़े समाज के लोगो के बीच वैसी ही एकता कराऊं जैसी कि क्षत्रिय कुलभूषण श्री राम और अति अतिपिछड़ी शबरी, अहिल्या और उस केवट के बीच थी जिसने भगवान को नदी पार्ट कराई थी. आज क्षत्रिय चेतना रथ को हरी झंडी दिखाते हुए कई क्षत्रिय भाइयों की भीड़ में इन अतिपिछडे भाइयो को देख कर बहुत ही सुखद अनुभूति हुई. कहते है कि जब भगवान् बुद्ध के घर पुत्र का जन्म हुआ तो उन्होंने कहा कि एक बंधन कि उत्पति हुई है. जब मुझे मेरे नेता ने इतिहास बता कर पीछे छूटा एक ऐसा साथी बताया, जिसे मुड कर वह वह कभी नहीं देखेंगे तो मुझे लगा कि मुझे मेरी सम्पूर्ण जिम्मेदारियो से मुक्ति मिल गई. गृह जनपद आजमगढ़ एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश की कई पार्टियों के कार्यकर्ता और यादव भाई मुझे गलियां दे रहे है. आदरणीय मुलायम सिंह जी ने जो स्नेह अब तक मुझे दिया है उसे वह जल्दी-जल्दी वापस छीनने में लगे हुए है, आप सभी को धन्यवाद. “दुश्मनों से सौ-सौ बार किये दो-दो हाँथ, अबकी अपने है सामने मौला ख़ैर करे.
लोकप्रियता की दौड़ में अजय राय ने बाकियों को पछाड़ा
जवाब देंहटाएंवाराणसी। विधानसभा उपचुनाव के प्रचार अभियान के अंतिम दौर में निर्दलीय अजय राय को मिल रही लोकप्रियता से साफ हो गया है कि अन्य प्रत्याशी इस दौड़ में काफी पिछड़ चुके हैं। विरोधियों के वोट बैंक में भी उनकी सेंधमारी पूरी गति पर है। कहीं उनको आशीर्वाद देने के लिए दोनों हाथ उठते दिख रहे हैं तो कहीं बढ़कर हाथ मिलानेवालों की भीड़। इसमें हर जाति व तबके के लोग शामिल हैं। ऐसी भीड़ में खुले तौर पर कहा जा रहा है कि ऊपर से कोई भले किसी दल का झंडा थामे घूम रहा है लेकिन उसका जु़ड़ाव तो अजय राय से कहीं न कहीं से अवश्य है। कारण कि तेरह वर्ष के अपने विधायक के कार्यकाल में अजय ने विकास अथवा किसी की मदद करते समय न तो जाति का ध्यान रखा न दलीय बंधन का।
कोलअसला की आबोहवा को किसी राजनीतिक ने अब तक सही तरीके से समझा तो वह सिर्फ अजय ही हैं। सामान्य किसान, श्रमिक हो या प्रबु्द्ध हर किसी का यही कहना है कि विभिन्न दलों के बडे़ नेता हों या प्रदेश सरकार के मंत्री ये चुनाव बाद खोजे नहीं मिलेंगे। इसके विपरीत अजय की सहज उपलब्धता बरकरार रहेगी। ऐसे में राजनीति के नए खिलाड़ियों की होने वाली स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। बुजर्गो की राय है कि वे कोई नया प्रयोग करने के बजाय अपना मत उसी अजय राय को देंगे जिसने कोलअसला के विकास को नया आयाम दिया है।
jara ye bhi pade Amar Singh kya kah rahe the
जवाब देंहटाएंइस्तीफे के बाद मेरी पहली यू.पी. यात्रा
Posted by Amar Singh in Amar Singh Opinion, Personal.
इस वक़्त मै वाराणसी से वापस दिल्ली के रास्ते हवाई जहाज़ में हूँ, इस्तीफे के बाद मेरी जन्म और कर्म भूमि उत्तर प्रदेश की यह पहली यात्रा थी. इस वक़्त मेरे साथ कोई फिल्म स्टार नहीं बल्कि मेरे सहयोगियों में एक भूमिहार भाई, एक निषाद भाई, एक कुर्मी भाई और मेरे अनुज अरविन्द सिंह है. हवाई अड्डे पर निर्दलीय विधायक श्री अजय राय जी आये थे. मैने पूंछा भाई मेरी पार्टी से क्यूँ नाराज हो? वह कहने लगे, भाई साहब आपकी पार्टी के नेताओ ने लोकसभा चुनावो में खुल कर मुख्तार अंसारी का साथ दिया, उनसे पैसे लिए और खुलेआम कहा कि अजय राय तो अमर सिंह का आदमी है, मुलायम सिंह जी का आदमी थोड़े ही है. मै स्तब्ध रह गया, पिछले कुछ दिनों से मुझमे और नेताजी में बटवारा चल रहा है. परन्तु पिछले लोकसभा चुनावो के दौरान भी यह बटवारा चल रहा था, यह जान कर आश्चर्य हुआ.
आज मुझे दधिची की बहुत याद आयी. हमारी पौराणिक कथाओ में हमारे अपने जीवन का दर्शन बखूबी दीख जाता है. स्वर्ग पर जब असुरों का हमला हुआ तो ईश्वरीय आदेश पर स्वर्ग के राजा इन्द्र ने महर्षि दधिची के पास जा कर उनके प्राण मांगे ताकि उनके शरीर की हड्डी के वज्र से असुरों का विनाश हो सके. उत्तर प्रदेश के राज पर जब से मायाजाल फैला है मेरी पार्टी ने भी मुझे दधिची बनाकर तपती दुपहरी में मुझे घुमा-घुमा कर गुर्दाविहीन कर डाला. लेकिन यह समाजवादी दधिची मारा नहीं, बच गया, अपने लिए, अपने परिवार, मित्रों और चाहने वालो के लिए. अब मै समर्पित हूँ क्षत्रीय बन्धुवों और सदियों से तिरस्कृत निषाद, कश्यप, राजभर, नोनिया, विश्वकर्मा, पाल, कुम्हार और तेली इत्यादि जैसे अति पिछड़े समाज के लोगो के बीच वैसी ही एकता कराऊं जैसी कि क्षत्रिय कुलभूषण श्री राम और अति अतिपिछड़ी शबरी, अहिल्या और उस केवट के बीच थी जिसने भगवान को नदी पार्ट कराई थी. आज क्षत्रिय चेतना रथ को हरी झंडी दिखाते हुए कई क्षत्रिय भाइयों की भीड़ में इन अतिपिछडे भाइयो को देख कर बहुत ही सुखद अनुभूति हुई.
कहते है कि जब भगवान् बुद्ध के घर पुत्र का जन्म हुआ तो उन्होंने कहा कि एक बंधन कि उत्पति हुई है. जब मुझे मेरे नेता ने इतिहास बता कर पीछे छूटा एक ऐसा साथी बताया, जिसे मुड कर वह वह कभी नहीं देखेंगे तो मुझे लगा कि मुझे मेरी सम्पूर्ण जिम्मेदारियो से मुक्ति मिल गई. गृह जनपद आजमगढ़ एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश की कई पार्टियों के कार्यकर्ता और यादव भाई मुझे गलियां दे रहे है. आदरणीय मुलायम सिंह जी ने जो स्नेह अब तक मुझे दिया है उसे वह जल्दी-जल्दी वापस छीनने में लगे हुए है, आप सभी को धन्यवाद.
“दुश्मनों से सौ-सौ बार किये दो-दो हाँथ, अबकी अपने है सामने मौला ख़ैर करे.
इस्तीफे के बाद मेरी पहली यू.पी. यात्रा
जवाब देंहटाएंPosted by Amar Singh in Amar Singh Opinion, Personal.
इस वक़्त मै वाराणसी से वापस दिल्ली के रास्ते हवाई जहाज़ में हूँ, इस्तीफे के बाद मेरी जन्म और कर्म भूमि उत्तर प्रदेश की यह पहली यात्रा थी. इस वक़्त मेरे साथ कोई फिल्म स्टार नहीं बल्कि मेरे सहयोगियों में एक भूमिहार भाई, एक निषाद भाई, एक कुर्मी भाई और मेरे अनुज अरविन्द सिंह है. हवाई अड्डे पर निर्दलीय विधायक श्री अजय राय जी आये थे. मैने पूंछा भाई मेरी पार्टी से क्यूँ नाराज हो? वह कहने लगे, भाई साहब आपकी पार्टी के नेताओ ने लोकसभा चुनावो में खुल कर मुख्तार अंसारी का साथ दिया, उनसे पैसे लिए और खुलेआम कहा कि अजय राय तो अमर सिंह का आदमी है, मुलायम सिंह जी का आदमी थोड़े ही है. मै स्तब्ध रह गया, पिछले कुछ दिनों से मुझमे और नेताजी में बटवारा चल रहा है. परन्तु पिछले लोकसभा चुनावो के दौरान भी यह बटवारा चल रहा था, यह जान कर आश्चर्य हुआ.
आज मुझे दधिची की बहुत याद आयी. हमारी पौराणिक कथाओ में हमारे अपने जीवन का दर्शन बखूबी दीख जाता है. स्वर्ग पर जब असुरों का हमला हुआ तो ईश्वरीय आदेश पर स्वर्ग के राजा इन्द्र ने महर्षि दधिची के पास जा कर उनके प्राण मांगे ताकि उनके शरीर की हड्डी के वज्र से असुरों का विनाश हो सके. उत्तर प्रदेश के राज पर जब से मायाजाल फैला है मेरी पार्टी ने भी मुझे दधिची बनाकर तपती दुपहरी में मुझे घुमा-घुमा कर गुर्दाविहीन कर डाला. लेकिन यह समाजवादी दधिची मारा नहीं, बच गया, अपने लिए, अपने परिवार, मित्रों और चाहने वालो के लिए. अब मै समर्पित हूँ क्षत्रीय बन्धुवों और सदियों से तिरस्कृत निषाद, कश्यप, राजभर, नोनिया, विश्वकर्मा, पाल, कुम्हार और तेली इत्यादि जैसे अति पिछड़े समाज के लोगो के बीच वैसी ही एकता कराऊं जैसी कि क्षत्रिय कुलभूषण श्री राम और अति अतिपिछड़ी शबरी, अहिल्या और उस केवट के बीच थी जिसने भगवान को नदी पार्ट कराई थी. आज क्षत्रिय चेतना रथ को हरी झंडी दिखाते हुए कई क्षत्रिय भाइयों की भीड़ में इन अतिपिछडे भाइयो को देख कर बहुत ही सुखद अनुभूति हुई.
कहते है कि जब भगवान् बुद्ध के घर पुत्र का जन्म हुआ तो उन्होंने कहा कि एक बंधन कि उत्पति हुई है. जब मुझे मेरे नेता ने इतिहास बता कर पीछे छूटा एक ऐसा साथी बताया, जिसे मुड कर वह वह कभी नहीं देखेंगे तो मुझे लगा कि मुझे मेरी सम्पूर्ण जिम्मेदारियो से मुक्ति मिल गई. गृह जनपद आजमगढ़ एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश की कई पार्टियों के कार्यकर्ता और यादव भाई मुझे गलियां दे रहे है. आदरणीय मुलायम सिंह जी ने जो स्नेह अब तक मुझे दिया है उसे वह जल्दी-जल्दी वापस छीनने में लगे हुए है, आप सभी को धन्यवाद.
“दुश्मनों से सौ-सौ बार किये दो-दो हाँथ, अबकी अपने है सामने मौला ख़ैर करे.